कोरोना ने लंबे समय से अटके आर्थिक सुधारों को शुरू करने का अवसर दिया; ‘बैड बैंक’ बने, भविष्य में सीधे कैश मदद की तैयारी हो

पूर्व राष्ट्रपति स्व. एपीजे अब्दुल कलाम ने कहा था कि आत्मनिर्भरता से ही आत्मसम्मान आता है। माननीय प्रधानमंत्री ने इस संकट के अवसर को ‘आत्मनिर्भर भारत’ बनाने में इस्तेमाल करने का आह्वान किया है। भारत ने इस संकट में लंबित सुधारों को शुरू करने का फैसला लिया है।

इतिहास में यह देखना रोचक है कि कैसे संकटों ने विभिन्न देशों को सुधारों के लिए प्रेरित किया है। उदाहरण के लिए 1985-1995 में करीब 19 लैटिन अमेरिकी और कैरिबियाई देशों नेे संकट को अवसर बनाकर 5 क्षेत्रों में सुधारों की शुरुआत की। व्यापार, घरेलू वित्तीय बाजार, टैक्स, लेबर मार्केट और निजीकरण। भारत ने भी इसी रास्ते पर चलने का फैसला लिया है।

कोरोना सबसे बुरे समय पर आया। वैश्विक और भारतीय अर्थव्यव्स्था पहले ही गिरावट के संकेत दे रही थी। उदाहरण के लिए वित्तीय वर्ष 2019-20 की दूसरी छमाही में देखा गया कि कई सेक्टर्स में क्रेडिट रेशो कम हो गया और ऐसे सेक्टर महामारी में ज्यादा प्रभावित हुए। आरबीआई और सरकार ने अर्थव्यवस्था में सुधार के लिए कुछ उपाय किए हैं।

खासतौर पर सरकार का 21 लाख करोड़ का पैकेज सुधारों की शुरुआत की कोशिश करता है, जिसका फायदा लंबे समय में मिलेगा। रोचक यह है कि भारत की हर तिमाही में वास्तविक जीडीपी रु. 35 लाख करोड़ है और यह देखते हुए कि लगभग पूरी पहली तिमाही में अर्थव्यवस्था लॉकडाउन मोड में रही है, ऐसे में पैकेज कितना भी बड़ा हो, पर्याप्त नहीं होगा। इसके अलावा मौजूदा परिस्थितियों को देखते हुए और क्या किया जा सकता है?

पहला, हमें असंगठित क्षेत्र के लिए व्यापक नीति की जरूरत है, जिसमें प्रवासी मजदूर भी हैं। साथ ही इनके विस्तृत डेटाबेस के लिए एक डिजिटाइज्ड सिस्टम हो। इससे हमें भविष्य में सीधे कैश मदद
देने के लिए डीबीटी (डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर) प्लेटफॉर्म बनाना आसान होगा।

दूसरा, चूंकि अभी संकट जारी रह सकता है, हमें उन सेक्टर्स को नीतिगत मदद देने के एक और दौर के बारे में सोचने की जरूरत है, जो इस महामारी से बुरी तर प्रभावित हुए हैं।
तीसरा, समय आ गया है कि अब पेशेवर ढंग से प्रबंधित बैड बैंक बनाया जाए, जो बाजार मूल्य पर स्ट्रेस्ड (घाटे वाले) एसेट्स खरीदता है और उनमें सुधार का प्रयास करता हैं।

अगर ये एसेट रिकवर होते हैं तो इन्हें बेचने वाले बैंक को लाभ में भागीदार भी बना सकते हैं। इससे बैंकों को पूंजी आवश्यकता की चिंता किए बिना कर्ज देने की गतिविधियों पर ध्यान केंद्रित करने में मदद मिलेगी। समाधान भी जल्दी होंगे।
चौथा, इस बात पर जोर देना चाहिए कि यह संकट स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर बनाने का अवसर है। भारत में करीब 718 जिले हैं, जिनमें 200 में ही ज्यादा अच्छी सुविधाएं हैं। बाकी जिलों में सरकार को 500 बिस्तर वाले अस्पताल बनाने चाहिए, ताकि भारतीय आबादी भविष्य में ऐसे झटकों को झेलने के लिए तैयार रहे।

अगर सरकार 5 लाख रुपए प्रति बेड की दर से 2.5 लाख बेड से ऐसे 50% अस्पताल भी बनाती है, तो अगले तीन साल के लिए इसपर 20 हजार करोड़ रुपए प्रतिवर्ष का खर्च आ सकता है, लेकिन यह हमारी आबादी की बेहतर जिंदगी के लिए जरूरी हैं।
(ये लेखक के अपने विचार हैं)



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सौम्य कांति घोष, ग्रुप चीफ इकोनॉमिक एडवाइजर, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया


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कोरोना ने लंबे समय से अटके आर्थिक सुधारों को शुरू करने का अवसर दिया; ‘बैड बैंक’ बने, भविष्य में सीधे कैश मदद की तैयारी हो कोरोना ने लंबे समय से अटके आर्थिक सुधारों को शुरू करने का अवसर दिया; ‘बैड बैंक’ बने, भविष्य में सीधे कैश मदद की तैयारी हो Reviewed by V. Kumar on June 05, 2020 Rating: 5

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