कहानी उस मशहूर शायर की जो अपने शौक के चलते कर्जदार हो गया, जुए की लत के चलते 3 महीने जेल में कटे
'होगा कोई ऐसा जो 'गालिब' को न जाने, शायर तो अच्छा है पर बदनाम बहुत है..' ये शेर है मिर्जा असदुल्लाह बेग खान का, जिन्हें लोग मिर्जा गालिब के नाम से जानते हैं। गालिब उनका तखल्लुस (पेन नेम) था। इसी नाम से वो शेरो-शायरी करते थे। उनके दादा उज्बेकिस्तान से भारत आए थे। मिर्जा गालिब का जन्म आज ही के दिन 1797 में आगरा के एक दौलतमंद खानदान में हुआ था। उनकी शादी भी दिल्ली के एक रईस खानदान की लड़की से हुई थी। मगर उनकी जिंदगी मुश्किलों में ही गुजरी। गालिब के सात बच्चे हुए और कोई भी दो साल से ज्यादा नहीं जी पाया।
शराब पीने के बड़े शौकीन, वो भी महंगी और अंग्रेजी वाली
इस्लाम में शराब को हराम माना जाता है, लेकिन गालिब को शराब पीने का बहुत शौक था। वो भी महंगी और अंग्रेजी। भले ही पैसों की कितनी ही किल्लत हो। चाहे सैकड़ों किलोमीटर दूर जाकर शराब लानी पड़े, लेकिन लाते थे और पीते थे।
एक शाम मिर्जा को शराब न मिली, तो वो नमाज पढ़ने चले गए। इतने में उनका एक शागिर्द आया और उसने गालिब को शराब की बोतल दिखाई। बोतल देखते ही गालिब मस्जिद से निकलने लगे, तो किसी ने कहा- 'ये क्या कि बगैर नमाज पढ़े चल दिए?' तो गालिब बोले 'जिस चीज के लिए दुआ मांगना थी, वो तो यूंही मिल गई।'
मिर्जा गालिब दौलतमंद जरूर थे, लेकिन उनके नवाबी शौक ने उन्हें कर्जदार बना दिया था। बताते हैं कि उस समय उन पर 40 हजार रुपए से ज्यादा का कर्ज हो गया था। उस समय 40 हजार बहुत बड़ी रकम हुआ करती थी। कर्ज न चुकाने के आरोप में एक बार उन्हें गिरफ्तार भी किया गया था।
महफिलों से ज्यादा इज्जत जुआरी देते थे
ऐसा कहा जाता है कि मिर्जा गालिब को जितनी इज्जत महफिलों में मिलती थी, उससे कहीं ज्यादा इज्जत उन्हें दिल्ली के जुआरी देते थे। उन्हें जुआ खेलने की जबरदस्त आदत थी। इसके लिए उन्हें 6 महीनों की जेल भी हुई थी। मिर्जा गालिब के रिश्ते उस समय के दिल्ली के बादशाह बहादुर शाह जफर से बहुत अच्छे थे।
बादशाह जफर ने गालिब को जेल से छोड़ने की सिफारिश भी की, लेकिन उनकी एक न चली। वो इसलिए भी, क्योंकि उस वक्त तक मुगलों की नहीं बल्कि अंग्रेजों की चलने लगी थी। बाद में मिर्जा गालिब ने बहुत जुगाड़ लगाया और तीन महीने में जेल से छूट गए।
गालिब की मौत की खबर 17 फरवरी 1869 को एक उर्दू अखबार में छपी थी। लेकिन उनकी मौत 15 फरवरी को ही हो चुकी थी।
पाकिस्तान की पहली महिला प्रधानमंत्री की हत्या
27 दिसंबर 2007 को एक धमाके में बेनजीर भुट्टो की मौत हो गई। बेनजीर पाकिस्तान की पहली महिला प्रधानमंत्री थीं, बल्कि किसी मुस्लिम देश की भी पहली महिला थीं, जो प्रधानमंत्री बनीं। 27 तारीख की शाम को बेनजीर रावलपिंडी से एक चुनावी रैली करके लौट रही थीं। तभी हमलावर उनकी कार के पास आया और बेनजीर को गोली मार दी। बाद में खुद को भी उड़ा लिया। बेनजीर भुट्टो दो बार पाकिस्तान की प्रधानमंत्री बनीं। पहली बार 1988 से 1990 तक और दूसरी बार 1993 से 1996 तक।
भारत और दुनिया में 27 दिसंबर की महत्वपूर्ण घटनाएं :
- 1911 : भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के कलकत्ता (अब कोलकाता) अधिवेशन के दौरान पहली बार ‘जन गण मन’ गाया गया।
- 1939 : तुर्की में भूकंप से लगभग चालीस हजार लोगों की मौत।
- 1960 : फ्रांस ने अफ्रीका के सहारा रेगिस्तान में तीसरा परमाणु परीक्षण किया और परमाणु प्रक्षेपास्त्र विकसित करने के रास्ते पर एक कदम और आगे बढ़ गया।
- 1965 : बॉलीवुड एक्टर सलमान खान का जन्म।
- 1975 : झारखंड के धनबाद जिले में चासनाला कोयला खदान दुर्घटना में 372 लोगों की मौत।
- 1979 : अफगानिस्तान में राजनीतिक उथल-पुथल के बाद सोवियत सेना ने हमला किया।
- 2000 : ऑस्ट्रेलिया में विवाह पूर्व संबंधों को कानूनी मान्यता दी गई।
- 2008 : वी. शान्ताराम पुरस्कार समारोह में 'तारे जमीं पर' को सर्वश्रेष्ठ फिल्म का पुरस्कार मिला।
- 2013 : बॉलीवुड अभिनेता फारुख शेख का निधन।
आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
from Dainik Bhaskar /national/news/aaj-ka-itihas-today-history-india-world-27-december-mirza-ghalib-facts-pakistan-benazir-bhutto-assassination-128057111.html
No comments: